संरक्षित खाद्य न केवल भोजन में विविधता लाते हैं बल्कि परिरक्षण के माध्यम से फसल काटने का जो अतिरिक्त उत्पादन होता है उसे भविष्य में उपयोग करने के लिए संरक्षित कर लिया जाता है। खाद्य संरक्षण वह है जिसके द्वारा खाद्य पदार्थों को उनकी सही तथा अच्छी अवस्था में ही काफी लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
परिरक्षण के उपरांत खाद्य पदार्थ का आयतन घट जाता है जिससे उसे भंडार करना सरल हो जाता है। प्रायः यह देखा गया है कि मौसमों में परिवर्तन के कारण कुछ भोज्य पदार्थ साल भर उपलब्ध नहीं रहते हैं। हम साल भर तक मौसमी फल और सब्जियां तो नहीं खा सकते किंतु संरक्षित या परिष्कृत उत्पादों के रूप में जैसे - अचार, चटनी, जूस, स्क्वेस और जैम का उपयोग कर सकते हैं। इसलिए भोजन के पौष्टिक तत्वों में संवर्धन करने तथा विविध प्रकार के खाद्य पदार्थ प्राप्त करने के लिए खाद्य संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। खाद्य पदार्थों को सुखाकर संरक्षित करने की विधि को हम प्राचीन काल से ही उपयोग में ला रहे हैं। फल तथा सब्जियों को धूप में सुखाया जाता रहा है। घरों में छोटे पैमाने पर फलों तथा सब्जियों को सुखाने के लिए इस विधि को अपनाया जाता रहा है। बड़ी, पापड,़ चिप्स आदि को प्रत्येक घर में सुखाकर ही उपयोग में लाया जाता रहा है। यदि इस विधि को थोड़ा वैज्ञानिक रूप दे देवे तो इससे सुखाए हुए फल एवं सब्जियों को अच्छे गुणों से युक्त किया जा सकता है।
फलों एवं सब्जियों का विभिन्न विधियों द्वारा उचित संरक्षण आवश्यक है, विदेश में कुल उत्पादित फलों तथा सब्जियों का लगभग 50 से 70 प्रतिशत हिस्सा परिरक्षित पदार्थ को बनाने में होता है, किंतु हमारे देश में इसका प्रतिशत बहुत ही कम है। अतः आवश्यकता इस बात की है कि परिक्षण संबंधी उद्योग स्थापित किए जाएं ताकि देश में विभिन्न स्थानों पर उत्पादित स्थल एवं सब्जियां वैज्ञानिक तरीके से परिरक्षित कर पर उपयोग किया जा सके इससे कुछ सीमा तक रोजगार की अवसर बढ़ाने में भी सहायता मिलेगी।