एकीकृत कृषि प्रणाली कई लाभ प्रदान करती है जो कृषि क्षेत्र और समग्र अर्थव्यवस्था की विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। खेती के लिए यह टिकाऊ दृष्टिकोण एक ही खेत में कई प्रकार के प्रयासों को शामिल किया करता है जिसके परिणाम स्वरुप कई लाभ होते हैं जो पारंपरिक खेती के तरीकों से परिचित होते हैं।
एकीकृत कृषि प्रणाली के प्रमुख लाभ जैसे उत्पादकता में सुधार, लाभ, वृद्धि, टिकाऊ वृद्धि टिकाऊ कृषि, संतुलित आहार, प्रदूषण मुक्त वातावरण, कृषि अवशेषों का पुनर्चक्रण रोजगार के अवसर जीवन स्तर सुधार होते हैं।
समकालीन कृषि पद्धति के साथ एकीकृत कृषि प्रणाली कृषि मंच पर चर्चा का विषय बना हुआ है एकीकृत खेती फसल उत्पादन पशुधन जलीय कृषि और कृषि वानिकी सहित विभिन्न कृषि पद्धतियों को मिलाकर एक उत्पादक और टिकाऊ प्रणाली स्थापित करने का प्रयास करती है।
एकीकृत खेती एक ही खेत पर कई कृषि गतिविधियों को मिलाकर विविधीकरण को बढ़ावा देती है। एकीकृत कृषि प्रणालियां रोजगार के अवसर पैदा करके छोटे किसानों को सशक्त बनाकर और सामुदायिक लचीलेपन को मजबूत करके ग्रामीण विकास में योगदान दे सकती है।
कृषि के साथ सहायक व्यवसाय के रूप में पशुपालन जैसे गाय, भैंस, बकरी, मछली, मुर्गी, मधुमक्खी आदि पाले जा सकते हैं। ये व्यवसाय कम पूंजी और छोटी जगह में भी सरलता से किया जा सकते हैं। यह लघु आकार के होने के कारण आसानी से पाले जा सकते हैं। इनका भूमिहीन कृषकों द्वारा मांस तथा दूध के लिए पालन किया जाता है। इसके अलावा उनकी खाल, बाल,रेषों का भी व्यवसायिक महत्व है। इनके गोबर मेंगनी एवं मूत्र भी विछावन पर इकट्ठे किए जाते हैं उनका खेती में खाद के रूप में उपयोग किया जाता है।