लिंग, वर्ग, धर्म या सामाजिक प्रतिष्ठा के आधार पर भेदभाव के बिना महिलाओं को आर्थिक सामाजिक तथा शैक्षिक अधिकार देना महिला सशक्तिकरण कहलाता है। किसी राष्ट्र के फलने, फूलने और विकसित होने के लिए यह एक आवश्यक शर्त है।
भारत सरकार ने सन 2001 को महिलाओं के सशक्तिकरण वर्ष के रूप में घोषित किया था। महिलाओं के सशक्तिकरण की राष्ट्रीय नीति 2001 में पारित की गई थी। महिला सशक्तिकरण का लक्ष्य एक ऐसी दुनिया का निर्माण करना है, जहां महिलाओं को लिंग के आधार पर भेदभाव, सीमाओं के बिना अपना जीवन जीने की शक्ति और स्वतंत्रता है।
महिला सशक्तिकरण के पांच प्रकार है - आर्थिक सशक्तिकरण, सामाजिक सशक्तिकरण, राजनीतिक सशक्तीकरण, शैक्षिक सशक्तिकरण और स्वास्थ्य सशक्तिकरण यह सभी आपस में जुड़े हुए हैं और एक दूसरे के पूरक हैं।
महिला सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करने वाले कारकों में शिक्षा, रोजगार के अवसर राजनीति खेल और खेल में भागीदारी, समाज में समान अवसर, मीडिया से संपर्क, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, घूमने फिरने की स्वतंत्रता, उचित पोषण व स्वच्छता, निर्णय देने की शक्ति महिलाओं के श्रम पैटर्न में बदलाव आदि आते हैं।
न्यायपूर्ण और प्रगतिशील समाज के निर्माण के लिए महिलाओं को काम के समान अवसर प्रदान किए जाने की आवश्यकता है। विकास की मुख्य धारा में महिलाओं को लाने के लिए भारत सरकार के द्वारा कई योजना चलाई गई है।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस प्रतिवर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है यह प्रगति पर विचार करने बदलाव का आह्वान करने उन सामान्य महिलाओं को साहस और दर्शनकल्पों को कृतियों का जश्न मनाने का अवसर प्रदान करता है जिन्होंने अपने देश समुदायों के इतिहास में असाधारण भूमिका निभाई है।