मशरूम उत्पादन एक सफल व्यवसाय


मशरूम उत्पादन एक सफल व्यवसाय

विष्व की बढ़ती हुई जनसंख्या को खाद्य आपूर्ति के लिए जहॉ एक ओर फसलों का प्रति इकाई क्षेत्र से उत्पादन बढाने के पर जोर दिया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर अधिक प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों की खोज भी की जा रही है। मषरूम उनमे से एक है। मषरूम का खाद्य पदार्थ के रूप में उपयोग भारत में प्राचीनकाल से ही होता आ रहा है।जिसका उल्ल्ेाख भारतीय प्राचीन ग्रंथों में देखने को मिलता है। मषरूम अपनी पौष्टिकता, स्वाद व सुगंध के चलते विषिष्ट पहचान बनाता जा रहा है। पोषक तत्वों की दृष्टि से भी मषरूम की अपनी महत्ता है। मषरूम में उच्च कोटि का 33ः प्रोटीन पाया जाता है। प्रोटीन के अतिरिक्त मषरूम में विटामिन्स, व खनिज लवण प्रचुर मात्रा में पाये जाते है। जो कि शाकाहारियों के लिए बहुत लाभदायक है।  मषरूम में कोलेस्ट्राल बिल्कुल नहीं होता है अपितु इगेस्ट्राल होता है जो कि शरीर द्वारा विटामिन ’’डी’’ में परिवर्तित हो जाता है। इसलिए यह हृदय के रोगियांे के लिए अच्छा भोजन है। देष में मषरूम उपभोक्ताओं की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। मषरूम उत्पादन कर यदि ग्रामीण क्षेत्रों में इसका आहार में उपयोग किया जाये तो कुपोषण से बचा जा सकता है एवं विभिन्न रोगों के प्रति शरीर में प्रतिरोधक क्षमता विकसित की जा सकती है साथ ही रोजगार सृजन किया जा सकता है। मषरूम उत्पादन को रोजगार के रूप में अपना कर विभिन्न प्रकार के मषरूम पैदा किये जा सकते है। पिछले कुछ समय से बेहतर कमाई के लिए मषरूम की खेती एक अच्छा विकल्प है। 

भारत मषरूम के क्षेत्र में विकासषील देषों की तुलना में अग्रणी स्थान रखता है। यह विभिन्न जलवायुओं में विषेषकर बटन, आयस्टर एवं दूधियॉ मषरूम सफलता पूर्वक उत्पादित किया जा सकता है। भारतवर्ष में गॉव की झोपडियों में उत्पादित किया जाने वाला मषरूम आज पॉच सितारा होटलों एवं अन्य उच्च पार्टियों का प्रमुख व्यंजन बन गया है। इसी मांग को देखते हुए भारत वर्ष में मषरूम की विभिन्न प्रजातियों की खेती हो रही है।

मषरूम एक ऐसा उत्पाद है, जिसे एक कमरे में भी उगाया जा सकता है। मषरूम उत्पादन कर किसान अपनी आय को चौगुना कर सकते है। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय बाजार में मषरूम की मांग तेजी से बढ़ी है। जिस हिसाब से बाजार में इसकी मांग है, उस हिसाब से इसका उत्पादन नहीं हो रहा है, ऐसे में किसान मषरूम की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते है। साल भर मषरूम का उत्पादन किया जा सकता है। 

सोलन (हिमाचल प्रदेष का शहर) को भारत का मषरूम शहर कहा जाता है। संयुक्त राष्ट्र विकास परियोजना (यूएनडीपी) के सहयोग से सोलन में एक मषरूम केन्द्र की स्थापना की गई है। इस केन्द्र का उद्देष्य किसानों को मषरूम की खेती के लिए तकनीकि जानकारी प्रदान करना है। 

मषरूम अनुसंधान निदेषालय क्डत् चंबाघाट में स्थित है। उत्तराखंड, तमिलनाडू, गोवा, आंध्रप्रदेष, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान और कर्नाटक भी भारत में मषरूम के उत्पादक है।

पिछले कुछ वर्षाें में किसानों का रूझान मषरूम की खेती की ओर तेजी से बढ़ता जा रहा है। मषरूम की खेती आमदनी का उत्तम साधन बन सकती है। अलग -2 राज्यों में किसान मषरूम की खेती से अच्छा लाभ कमा रहे है। कम जगह और कम समय के साथ ही इसकी खेती में लागत भी बहुत कम लगती है जबकि लाभ लागत से कई गुना ज्यादा मिल जाता है। 

हमारे देष में मषरूम का उपयोग भोजन एवं औषधि के रूप में किया जाता है। देष में उत्तम पौष्टिक खाद्य के रूप  में मषरूम का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा मषरूम के पापड़, जिम का सप्लीमेंट्री पाउडर, अचार, बिस्किट, टोस्ट, कुकीज, नूउल्स, जैम, सॉस, सूप आदि के रूप में भी मषरूम का उपयोग किया जाता है।     


8/10/2023 11:08:37 AM Book Publications 175 Views


Post comment to this article